एक व्यंग्य संग्रह - उल्टावाद

Writer Ved Sharma 'vyathit'

Writer Ved Sharma 'vyathit' Source: Ved Sharma

साहित्य में, व्यंग्य लेखन एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा, लेखक. समाज और हमारे जीवन की सभी स्थितियों को पढ़ने वाले के सामने ले आता है। पढ़कर हँसी भी आये और तुरन्त पढ़ने वाला कुछ सोचने पर भी बाध्य हो जाये, बस यही व्यंग्य लेखन की एक गम्भीर ज़िम्मेदारी होती है।


डॉ. वेद व्यथित की ताजा पुस्तक उल्टावाद  में वर्णित २७ वाद, सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्यपूर्ण शैली में प्रहार करते है। उनकी भाषा सरल है और  वह सीधा सामाजिक, राजनीति प्रणाली पर चोट करती है। पुस्तक उल्टावाद में, कई आम सी लगने वाली घटनाओं का चित्रण करते यह लघुवाद हैं । जैसे कि डाक्टरवाद, छूटवाद, भूखवाद, विरोधवाद, दिखावावाद, झूठवाद, खोजवाद आदि। कुल मिलाकर ऐसे सत्ताइस लघुवादों को पढ़कर हँसी भी आती है और साथ ही पढ़ने वाला तुरन्त सोचने को बाध्य भी हो जाता है।

डॉ वेद ने कई उपन्यास, काव्य नाटक, काव्य तथा कई नयी विधाओ पर काम किया है, लेखन किया है। उनकी कई कविताओ का अँग्रेजी, जापानी, रूसी, फ्रेंच, नेपाली तथा पंजाबी भाषा में अनुवाद हो चुका है।प्रकाशित पुस्तकों में काव्य नाटक- मधुरिमा, उपन्यास - आखिर वह किया करे, खंड काव्य- न्याय याचना, काव्य संकलन - अंतर्मन आदि कुछ प्रमुख रचनायें हैं। इसके अलावा उनके कई व्यंग्य संग्रह जैसे गुलाबी ठंड, बोलने की बीमारी भी प्रकाशित हो चुके हैं। तथा व्यंग्य लेखन के लिये उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

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