How science and spirituality merge in our Indian festivals

आप ये तो ज़रूर जानते होंगे कि भारत में मनाए जाने वाले हमारे सभी त्यौहारों के पीछे क्या धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं, लेकिन क्या आप ये भी जानते हैं कि ये सभी त्यौहार कहीं न कहीं साइंटिफिक कारणों से भी जुड़े हैं और कहा जा सकता है कि ये प्रमुखतः हमें स्वास्थ्य, मौसम के बदलाव की ज़रूरतों और व्यापार में सहायक होते थे।

Diwali

Indians in Australia miss the Diwali cheer at 'home'. Source: Public Domain

दीपावली आने वाली है, आप भी भारतीयों के इस सबसे बड़े त्यौहारों में से एक त्यौहार की तैयारियों में मशगूल होंगे। भारतीय संस्कृति को काफी समृद्ध संस्कृतियों में शुमार किया जाता है। माना जाता है कि जिस सभ्यता में त्यौहारों की संख्या जितनी ज़्यादा रही है वो उतनी ही समृद्ध और खुशहाल रही हैं।

आप ये तो ज़रूर जानते होंगे कि भारत में मनाए जाने वाले हमारे सभी त्यौहारों के पीछे क्या धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं, लेकिन क्या आप ये भी जानते हैं कि ये सभी त्यौहार कहीं न कहीं साइंटिफिक कारणों से भी जुड़े हैं और कहा जा सकता है कि ये प्रमुखतः हमें स्वास्थ्य, मौसम के बदलाव की ज़रूरतों और व्यापार में सहायक होते थे। हालांकि इनके बहुत सारे ऐसे उद्देश्य जो सैकड़ों साल पहले तक हमारे समाज की ज़रूरतों में शामिल थे, लेकिन वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति के बाद आज वो उतने प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। लेकिन अभी भी इनके ऐसे कई फायदे हैं कि अगर हम विधिवत् इन्हें मनाएं तो आज हम जो मन की खुशी और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का लाभ इन त्यौहारों से लेते हैं, उससे कहीं ज्यादा फायदा हमें मिल सकता है। तो चलिए कुछ खास त्यौहारों और सांस्कृतिक अवसरों के इन्ही सारे फायदों पर डालते हैं एक नज़र।

स्वच्छता और स्वास्थ्य से ज़ुड़ी है दीवाली

रामचंद्र जी 14 वर्षों के बाद वनवास से अयोध्या लौटे तो अयोध्या नगरी के लोगों ने नगर को साफ सुथरा कर  जगमगाती रौशनी से उनका स्वागत किया। हिंदू मान्यताओं में ये त्रेता युग की बात है, लेकिन वर्तमान में जब हम इस क्षण को त्यौहार के रूप में मनाते हैं तो इसके साइंटिफिक एनालिसिस में हम पाते हैं कि भारत में ये त्यौहार गर्मी और बरसात के बीत जाने के बाद आता है। ये वो मौसम होता है जब कीट पतंगे और कीटाणु घरों में जगह बना चुके होते हैं। बारिश के कारण घरों की दीवारें अपनी चमक खो चुकी होती हैं। ऐसे में इस त्यौहार पर की जाने वाली साफ-सफाई और घरों का रंग-रोगन हमारे स्वास्थ्य और सामाजिक समृद्धि को बढ़ाता है।

दीये देते हैं दोगुने फायदे

हालांकि अब दीयों की जगह जगमगाती इलैक्ट्रिक लाइट्स ने ले ली हैं लेकिन खासतौर पर दीयों के पीछे भी इसी तरह के कारण पाए गए हैं। माना गया है कि कीट पतंगे दीयों से आकर्षित होते हैं और जल जाते हैं। इसलिए ये न सोचें कि घरों से बाहर दीये केवल सजावट के लिए हैं।

हैल्दी होली, हैप्पी होली

हैल्दी और हैप्पी होली कोई आज का स्लोगन नहीं बल्कि इस पौराणिक त्यौहार को साइंस के तराजू में तौला जाए तो आप पाएंगे की ये इस त्यौहार के पीछे छुपा फॉर्मूला है। होली का त्यौहार सर्दियों के बीतने के बाद आता है जहां से गर्मियों की शुरुआत होती है। होली के बारे में मान्यता है कि होलिका दहन के वक्त आस पास का तापमान 50-60 डिग्री सेल्सियस हो जाता है और होलिका की परिक्रमा करते समय गर्मी से शरीर के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। ये नहीं होलिका में जौ, चंदन और आम के पत्ते डालने का भी प्रचलन है जिससे की आस पास की वायु भी स्वच्छ और कीटाणु रहित हो जाती है।

होली की मस्ती के भी हैं अपने मायने

होली का त्यौहार फरवरी-मार्च में आता है, भारत में ये सर्दियों के बाद का समय होता है। मौसम करवट ले रहा होता है और ये वो वक्त होता है जब शरीर अलसाया रहता है। ऐसे में फाग गाते हुए ढोल मंजीरों की गूंज शरीर को तरो-ताज़ा कर देती है।

अद्भुत हैं प्राकृतिक रंगों के फायदे

हांलांकि अब कॉस्मेटिक रंगों का प्रयोग होने लगा है लेकिन पहले सभी तरह के प्राकृतिक रंगों के प्रयोग का भी अपना ही महत्व होता था। हरा रंग यानी मेंहदी, पीला यानी हल्दी, लाल यानी गुलाब या लाल चंदन, केसरिया यानी पलाश के फूल। अब आपको इनके फायदे गिनाने की ज़रूरत तो शायद नहीं होगी।

नवरात्रि रखती हैं सेहतमंद

नवरात्रि साल में दो बार आती है और दोनों बार ही समय होता है मौसम के परिवर्तन का। माना जाता है कि ये वक्त वो होता हैं जहां हम अपने खान-पान में भी बदलाव करते हैं और नवरात्रि के व्रत हमारे शरीर को खानपान के बदलाव के लिए तैयार करने में सहायक होते हैं।

सावन में मांसाहार को ना

सावन यानी बरसात का महीना और ये बात तो आप भी जानते हैं कि बरसात में कितनी तरह की बीमारियां फैलने का खतरा रहता है और ये ख़तरा मनुष्यों के कहीं ज़्यादा जानवरों को भी होता है। ऐसे में अगर हम इन दिनों मांसाहार का प्रयोग बंद रखें और शाकाहार को भी अच्छे से साफ करके और पका कर खाएं तो बरसात में होने वाली बीमारियों से दूर रहा जा सकता है।

हमने यहां कुछ ही त्यौहारों की बातें की लेकिन और भी त्यौहार ऐसे हैं जिनके पीछे कुछ ना कुछ ऐसे मकसद हैं जो आपकी जिंदगी को और भी बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और भारत में त्यौहारों के मौसम का फर्क हो जाता है लेकिन अगर हम इन त्यौहारों को समझ कर सही तरीके से मनाने की कोशिश करें तो इनके कई फायदे हम यहां भी ले सकते हैं। तो सोच क्या रहे हैं इस बार की दीवाली से ही कीजिए ये नई शुरूआत।


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Published 13 October 2017 11:30am
By Gaurav Vaishnav

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