आज सिडनी में हफ्तों बाद धूप निकली. वो अपने छह साल के बेटे को लेकर सुपरमार्किट की ओर चल दी.
हाथ में चीजों की लिस्ट और पुराना पुर्स. घर से शॉपिंग सेंटर काफी दूर है. धूप तेज होती गई. उसकी पेशानी पर पसीने की हल्की बूंदें चमकने लगीं.
सुपरमार्किट में शॉपिंग बास्किट उठाई. चाय की पत्ती. चीनी... लेकिन छोटा पैकेट. बिस्कुट के शेल्फ की तरफ पल भर रुकी मगर कुछ सोचकर आगे चल दी.

Source: Sketches by Alan Mackay - Smith
अंडे, मगर छह. दूध दो लिटर. डॉक्टर ने कहा था कि इस हालत में उसे दूध जरूर पीना चाहिए. वो सोच में डूब गई.
रेस्ट्रॉन्ट की किचन में बर्तन धोते धोते और सब्जियां काटते काटते उसके हाथ छिल गए थे.
उसने दो लिटर दूध की तरफ हाथ बढ़ाया ही था कि रवि का छोटा सा हाथ उसका दूसरा हाथ खींचने लगा.
झुंझलाकर आरती ने उसकी तरफ देखा तो रवि ने अपनी छोटी सी उंगली चॉकलेट बन्नी और गोल्डन एग की ओर उठाई.
मम्मी, टीचर ने ईस्टर एग और ईस्टर बन्नी की बातें बताई हैं. मम्मी... मम्मी... उसकी आंखों में प्रार्थना थी.

Source: Sketches by Alan Mackay - Smith
आरती की आंखों में वो दृश्य घूम गया जब रवि का पिता मुरझाया हुआ चेहरा लिए कल देर रात कार वॉश का काम खत्म करके घर लौटा.
भूख नहीं है कहकर उसने दाल रोटी नहीं खाई. पेट्रोल स्टेशन के मालिक से उसने मिनिमम वेज पाने की मांग की तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया था.
रवि ने ललचाई हुई नजरों से एक बार फिर मां की तरफ देखा. और मां ने दूध की एक ही लिटर बोतल उठाई.
भारी कदमों से अंडे वापस शेल्फ पर रख दिए.
चॉकलेट बन्नी और ईस्टर एग शॉपिंग बास्किट में डाल दिये.
रवि का चेहरा खिल उठा. खिलखिलाकर वो कहने लगा कि कल मैं भी सबको स्कूल में गोल्डन चॉकलेट बन्नी और ईस्टर एग्स दिखाऊंगा.
आरती ने उसके सिर पर हाथ फेरा. उसकी आंखें बिल्कुल खुश्क थीं.

Source: Sketches by Alan Mackay - Smith
घर का रास्ता उसे और लंबा लगा. शॉपिंग की चीजें और भी भारी.
लेकिन यह क्या! यकायक बादल घिर आए. आसमां ने आरती की व्यथा बयान करते हुए कुछ बूंदें टपका दीं. टिप... टिप... टिप...
- कुमुद मिरानी