होली मनाने पर पाकिस्तानी स्टूडेंट्स को मिली सजा

पाकिस्तान की सिंध यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को होली मनाने के लिए माफी मांगने को कहा गया है. पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक 8 मार्च को होली का जश्न मनाने के लिए इन स्टूडेंट्स को ऐफिडेविट पर माफी मांगने को कहा गया है.

Holi in Bhopal

Holi festival celebrations in Bhopal, India, 10 March 2017. Source: EPA

के मुताबिक कुल 10 छात्रों को माफी मांगने को कहा गया जिनमें चार हिंदू और छह मुसलमान छात्र हैं. जिसने स्टूडेंट्स से माफी मांगने के लिए कहा है वह यूनिवर्सिटी के मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के अध्यक्ष बदर सूमरो हैं. हालांकि विवाद के बाद अब यूनिवर्सिटी प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि यह अनुशासनहीनता की कार्रवाई थी या फिर छात्रों के साथ भेदभाव किया गया. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फतेह मुहम्मद बरफत ने कहा कि अगर धार्मिक भेदभाव की बात सही पायी जाती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बरफत ने कहा, "सिंध यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा हिंदू स्टूडेंट्स और कर्मचारी हैं. वे सब मुसलमानों के साथ बहुत ही घुलमिलकर रहते, पढ़ते और काम करते हैं."

इस घटना का पता तब चला जब एक स्टूडेंट राजा दीपक का माफीनामा सार्वजनिक आ गया. ट्रिब्यून लिखता है कि यह माफीनामा आग की तरह सोशल मीडिया पर फैल गया. अखबार के मुताबिक माफीनामे में लिखा है, "वे होली के दिन थे और परंपरा के तहत दोस्तों ने एक दूसरे पर रंग फेंका. लेकिन यह यूनिवर्सिटी के कानून के हिसाब से गलत था जिस कारण हमारे विभागीय पहचान पत्र ले लिये गए."
सूमरो दशकों से पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग सदस्य हैं. धार्मिक भेदभाव के आरोपों से वह आहत हैं. उन्होंने वाइस चांसलर को बताया कि उन्होंने छात्रों पर कार्रवाई अनुशासनहीनता के लिए की थी, न कि किसी तरह का धार्मिक भेदभाव किया. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स ने कैंपस में जश्न मनाने के लिए कोई इजाजत नहीं ली थी जबकि कोई भी धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम करने से पहले लिखित इजाजत जरूरी होती है.

लेकिन स्टूडेंट्स ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि ऐसा जश्न पहले भी होता रहा है. एक स्टूडेंट ने दावा किया, "जब हम यूनिवर्सिटी में नये आए थे तब हमने अपने सीनियर्स को भी होली मनाते देखा था. वे लोग दूसरी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी पूरी आजादी से मनाते थे."

वाइस चांसलर बरफत ने कहा कि जांच कमेटी को साफ तौर पर यह पता लगाने के निर्देश हैं कि धार्मिक भेदभाव हुआ या नहीं.


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Published 28 March 2017 4:22pm
Updated 28 March 2017 6:19pm
By Vivek Asri
Source: SBS


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