ऑस्ट्रेलिया एक बहुसांस्कृतिक देश है और ये ही विविधता उसे भारत के सबसे नज़दीक लाती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भारत अनेकता में एकता की मिसाल है और कई हज़ार किलोमीटर दूर इस विविधता को महसूस करना हो तो संगीत से अच्छा माध्यम और कुछ नहीं हो सकता.
ऑस्ट्रेलिया की बहुसांस्कृतिक फिज़ा में भारतीय शास्त्रीय संगीत का तड़का लगा, 1 मार्च की शाम जब कॉन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया के स्वामी विवेकानंद कल्चरल सेंटर की ओर से सिडनी में प्रसिद्ध वायलिन वादक और संगीतकार डॉक्टर एल सुब्रह्मण्यम ने यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के खचाखच भरे हॉल में अपनी शानदार प्रस्तुति दी.
कार्यक्रम को नाम दिया गया था 'सनमान संध्या'.
इस मौके पर प्रसिद्ध बॉलीवुड और शास्त्रीय गायिका कविता कृष्णमूर्ति भी मौजूद थीं.
कार्यक्रम की शुरूआत में इन दोनों दिग्गज कलाकारों को सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कंबरलैंड सिटी काउंसिल के मेयर स्टीन क्रिस्टो जिन्होंने कॉन्सुल जनरल और उनकी टीम को इस आयोजन के लिए बधाई दी.
कॉन्सुल जनरल ऑफ इंडिया सिडनी, मनीष गुप्ता ने कहा कि इस आयोजन से न केवल संगीत की दो दिग्गज हस्तियां जुड़ी हैं बल्कि इस आयोजन ने स्थानीय समुदाय और संगीत के स्कॉलर्स को साथ लाने का काम किया है.

Source: Gaurav Vaishnava / SBS Hindi
डॉक्टर एल सुब्रह्मण्यम अपनी कला में न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं बल्कि उन्हें क्लासिकल में वेस्टर्न फ्यूज़न का भी महारथी माना जाता है.
सिडनी में उनकी प्रस्तुति में ख़ास बात ये भी थी कि मृदंग और ढपली जैसे वाद्य यंत्रों में उनका साथ देने वाले कलाकार सिडनी में ही रहने वाले प्रवासी भारतीय थे.
कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय नृत्य की झलकियां भी देखने को मिली जब सिडनी की कुछ संस्थाओं के कलाकारों ने सबका ध्यान मंच की ओर खींचा.
कार्यक्रम में मौजूद मल्टीकल्चरल एनएसडब्लू और प्रसिद्ध पैरामसाला के अध्यक्ष जी. के. हरिनाथ ने सभी कलाकारों की सराहना की.
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल अलग-अलग संस्कृतियों को साथ लाते हैं बल्कि सामाजिक समरसता भी बढ़ाते हैं.
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एक सुरमयी शाम, वायलिन वादक एल सुब्रह्मण्यम और कविता कृष्णमूर्ति के साथ
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