‘इन द बेली ऑफ ए टाइगर’ एक संस्कृति और सामाजिक वास्तविकता, शहर से गांव की ओर प्रवास की कहानी है। फिल्म में गाँवों में गरीबी, कर्ज, पूंजीवादी शोषण और बुजुर्गों के नाजुक प्यार को बड़े ही सहज रूप से दिखाया गया है।
A still from the film ' In The Belly of a Tiger'
फिल्म में जटिल परिस्थितियों, भावनाओं और सत्ता के दुरुपयोग साथ साथ चलते हैं और दिखता है वह सहज प्यार भी जहाँ उम्र की सीमा नहीं है। फिल्म में फूलों की बिखरी खूवसूरती के बीच खामोशी की आवाज वातावरण में गूंजती है, महसूस होती है। और फिल्म में आशा और प्रेम को मजबूत करती भारतीय पौराणिक कथाओं की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है।
सिद्धार्थ जातला भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से सिनेमेटोग्राफी स्नातक हैं। उनकी पहली लघु फिल्म, “द आर्टिस्ट” का प्रीमियर 2012 में बुसान में हुआ था। उनकी पहली फीचर फिल्म, “लव एंड शुक्ला” (2017) का विश्व प्रीमियर भी बुसान में हुआ था।
“इन द बेली ऑफ ए टाइगर”, एक बहुराष्ट्रीय प्रोडक्शन है। इसमें भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, इंडोनेशिया, ताइवान की प्रोडक्शन कम्पनियाँ शामिल हैं और यह सिद्धार्थ जातला की दूसरी फीचर फिल्म है।
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