पिछले कई वर्षों से भारत और ऑस्ट्रेलिया के दो विश्वविद्यालयों के शोध संस्थान, दोनो देशों के छात्रों के बीच संयुक्त शोध कार्यक्रम चला रहे हैं.
एबिन वर्गीज़ और मानस रंजन भी उन छात्रों में से हैं जो आई आई टी बॉम्बे और मैलबर्न में मोनाश विश्वविद्यालय के संयुक्त शोध कार्यक्रम का हिस्सा हैं.
इस संयुक्त शोध कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए एबिन वर्गीज़ बताते हैं कि दोनों संस्थानों के अपने अलग अलग शोध कार्यक्रम होते हैं लेकिन करीब 12 साल पहले एक संयुक्त शोध कार्यक्रम बनाया गया जिसके तहत मुंबई में आई आई टी बॉम्बे मोनाश रिसर्च एकेडमी के नाम से एक केंद्र शुरू किया गया था.
मुख्य बातें:
- आई आई टी बॉम्बे और मोनाश विश्वविद्यालय के बीच साझा शोध कार्यक्रम करीब 12 वर्षों से जारी है.
- आई आई टी बॉम्बे मोनाश रिसर्च एकेडमी के छात्रों को अपने शोध का एक हिस्सा भारत में और बाकी ऑस्ट्रेलिया में पूरा करना होता है.
- शोध छात्र एबिन वर्गीज़ कहते हैं कि इसमें पीएचडी की डिग्री भी दोनों देशों के विश्वविद्यालय मिलकर देते हैं.
इस एकेडमी के तहत ही दोनों शिक्षण संस्थानों के बीच साझेदारी से ये शोध कार्यक्रम चलता है.
एबिन कहते हैं,"सामान्यतया आप जिस विश्वविद्यालय में पीएचडी कार्यक्रम में भाग लेते हैं वहीं पूरा शोध करते हैं लेकिन इस कार्यक्रम के तहत पीएचडी का एक हिस्सा आई आई टी बॉम्बे में पूरा करना होता है जबकि बाकी का शोध मोनेश विश्वविद्यालय में पूरा करना होता है."
एबिन बताते हैं कि पीएचडी कार्यक्रम की डिग्री भी दोनों विश्वविद्यालय मिलकर आपको देते हैं जो कि पूरी दुनिया में बहुत कम देखने को मिलता है.
मानस रंजन उड़ीसा से निवासी हैं. उन्होंने अपनी मास्टर्स की डिग्री पुडुचेरी से की है. जिसके बाद उन्होंने ये पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया है.
एबिन वर्गीज़ भारत में केरल के रहने वाले हैं. आई आई टी बॉम्बे मोनाश रिसर्च एकेडमी में शोध शुरू करने से पहले उन्होंने त्रिवेंद्रम से भौतिक विज्ञान में बैचलर और मास्टर्स डिग्री हासिल की थी.
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भारतीय छात्रों से जाने IIT-बॉम्बे और मोनाश यूनिवर्सिटी के अनोखे संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के बारें में
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08:25
मानस के मुताबिक इस पीएचडी कार्यक्रम में चुना जाना आसान नहीं था. इसके लिए उन्हें कठिन परीक्षा देनी पड़ी है.
एबिन बताते हैं कि इस संयुक्त शोध कार्यक्रम में उनकी तरह करीब 100 से 150 तक शोध छात्र काम कर रहे हैं.
अपने शोध के विषय के बारे में जानकारी देते हुए मानस कहते हैं कि वो नई सोडियम आयन बैटरी बनाने के लिए नए पदार्थों की खोज कर रहे हैं ताकि एक सस्ती और अच्छी बैटरी बनाई जा सके.
वो कहते हैं,"भारत और दुनिया भर में लीथियम की जगह सोडियम की उपलब्धता काफी ज्यादा है. इसलिए अगर सोडियम से बैटरी बनती हैं तो वो काफी सस्ती होंगी."
एबिन नैनो टैक्नोलॉजी में शोध कर रहे हैं. उनका शोध लाइट सेंसर्स पर आधारित है.
अपने शोध के बारे में वो कहते हैं,"मेरा रिसर्च नैनोटैक्नोलॉजी में है. मैं ऐसे सेंसर्स बनाता हूं जो लाइट्स में लगे होते हैं. जैसे बाथरूम में लगी लाइट या कार की लाइट्स में लगे सेंसर्स. मेरा काम इस तरह के सेंसर्स के लिए नए पदार्थ खोजना है."
शोध के इतर मानस और एबिन को ऑस्ट्रेलिया भी खूब भा रहा है. दोनों समय मिलने पर मैलबर्न और उसके आस-पास की जगहों में घूमने जाते हैं. हालांकि एबिन कहते हैं कि उन्हें घर का खाना बहुत याद आता है. वैसे वो यहां पर खाना बनाना भी सीख रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में लोगों को एक-दूसरे से कम से कम 1.5 मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. एक जगह कितने लोग जमा हो सकते हैं यह जानने के लिए अपने देखें. यदि आपको सर्दी या फ्लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो घर पर रहें और डॉक्टर से फोन पर बात करके जांच कराने का इंतजाम करें. आप कोरोनावायरस स्वास्थ्य सूचना हेल्पलाइन से 1800 020 080 पर भी संपर्क कर सकते हैं. SBS ऑस्ट्रेलिया के विविध समुदायों को नवीनतम COVID-19 विकास के बारे में सूचित करने के लिए प्रतिबद्ध है. समाचार और सूचना www.sbs.com.au/coronavirus पर 63 भाषाओं में उपलब्ध है.