तारा और ज्योत्सना की प्रेम कहानी: रेडियो पर नाम सुनकर की मन की बात और प्यार हो गया

Lovestory

Source: Supplied by Tara Chand Khatri

अगर आपको ये बताया जाये कि एक लव स्टोरी रेडियो पर सिर्फ नाम सुन कर शुरू हुई और शादी हो गयी तो क्या आप यकीन करेंगे? टीवी पर देख कर तो लव स्टोरी समझ में आ सकती है लेकिन रेडियो पर सिर्फ नाम सुन कर लव स्टोरी, है न दिलचस्प!


मुख्य बातेंः

  • यह प्रेम कहानी तारा चंद खत्री और ज्योत्सना की।
  • दोनों ने एक दूसरे को रेडियो के जरिए जाना और खोजा।
  • रेडियो आज भी दोनों की जिंदगी का अहम हिस्सा है।
राजस्थान के बाड़मेर में रहने वाले ताराचंद खत्री की कहानी कुछ ऐसी ही है। ताराचंद जी को रेडियो सुनने का बहुत शौक है। यूं कहिये कि उनको रेडियो का जुनून है। वह हमेशा से ही रेडियो के फरमाइशी गीत संगीत वाले कार्यक्रमों में पत्र भेज कर गानों की फरमाइश करते रहते हैं। लेकिन उनको एक नाम और हमेशा सुनाई पड़ता था, वो था सूरत से ज्योत्सना खत्री का। अक्सर दोनों की फरमाइश भी एक ही तरह की होती थी।
Radio love story
Source: Supplied by Tara Chand Khatri
रेडियो पर ही नाम सुनते-सुनते ताराचंद ने ज्योत्सना से संपर्क किया, पत्र लिखकर। वहां से जवाब भी आ गया। और फिर बात रेडियो से निकल कर बाहर आ गयी। दोनों में पत्र व्यवहार शुरू हो गया। दोनों के परिवार मिले और फिर शादी भी हो गयी।

सुनिए, ताराचंद की प्रेम कहानी उन्हीं की जबानीः

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Love at first sound: how Tarachand and Jyotsna met via radio image

तारा और ज्योत्सना की प्रेम कहानी: रेडियो पर नाम सुनकर की मन की बात और प्यार हो गया

SBS Hindi

23/12/202008:22
एक और दिलचस्प बात, दोनों लोग मिले भी तो किसी पार्क या रेस्टोरेंट में नहीं, आकाशवाणी केंद्र यानी रेडियो स्टेशन में।

सिर्फ ताराचंद नहीं, ज्योत्सना भी रेडियो की ज़बरदस्त फैन हैं। उन्होंने अपने पिता से भी अनुरोध किया था कि कुछ दें या ना दें लेकिन एक रेडियो सेट ज़रूर शादी के समय दें दें। आज भी वह रेडियो उनके पास मौजूद है। यही नहीं, उनके परिवार में आज भी टीवी नहीं है लेकिन हर कमरे में रेडियो है।
Supplied Tara Chand Khatri
Source: Supplied Tara Chand Khatri
उनके बच्चे भी रेडियो के फैन हैं। बेटी दीप्ति खत्री एमए की स्टूडेंट हैं। बेटा अभी क्लास 7 में है। लेकिन दोनों सिर्फ रेडियो सुनते हैं। दीप्ति बताती हैं कि उनके दोस्त इसपर अचरज करते हैं क्यूंकि बहुत से लोगों ने तो अपने जीवन में रेडियो देखा ही नहीं। पर दीप्ति को इसपर गर्व हैं क्यूंकि वह जानती हैं कि वो स्पेशल हैं।

सुनते हैं कि लव एट फर्स्ट साईट होता है, लेकिन खत्री परिवार के लिए तो लव एट फर्स्ट वॉइस हो गया। आज भी दोनों रेडियो को पत्र लिखते हैं लेकिन अब दोनों का नाम एक साथ आता है।

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