सुश्री बनर्जी विभिन्न विविधता पैनल सत्रों और कार्यशालाओं में भाग लेकर मानसिक स्वास्थ्य विषय की जागरुकता के लिए काम कर रही हैं।
वह व्यक्तिगत रूप से वह स्वयम् मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से गुज़री हैं तो इसलिये इस विषय से जुड़ी शर्म की भावना को वह अच्छे से समझती हैं।
It is important to talk and seek help Source: AAP
हमारी संस्कृति में, ज़्यादातर, हम इसके बारे में बात नहीं करते हैं। वास्तव में हम अपनी भावनाओं से जुड़ी किसी भी चीज़ के बारे में बात नहीं करते हैं। हम इसे छुपा देते हैं, शर्म महसूस करते हैं।अनन्या बनर्जी. अंतर्राष्ट्रीय छात्रा, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी
एसबीएस हिंदी के साथ बातचीत के दौरान, सुश्री बनर्जी ने युवाओं, विशेष रूप से विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आये अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता संसाधनों की कमी के बारे में बात की।
Depressed young woman with head in hands sitting lonely. Source: Moment RF / Yuichiro Chino/Getty Images
उनका मानना है कि इसलिये सांस्कृतिक रूप से विविध मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मनोवैज्ञानिक आदि के साथ साथ विभिन्न समुदायों के भीतर विश्वास स्थापित करने के लिए प्रयासों की भी आवश्यकता है।
सही सहयोग न मिलने से हमारे युवाओं के सामने सहायता लेने में मुश्किलें आती हैं। इसीलिये हमें अपनी भाषा या संस्कृति के चिकित्सकों की आवश्यकता है। हमारे पास ऑस्ट्रेलिया में चिकित्सकों का विविध समूह नहीं है।अनन्या बनर्जी. अंतर्राष्ट्रीय छात्रा, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी
Young Australians believe mental health is one of the top three issues in the country Source: Flickr
कैसे पहचानें और मदद लें?
सुश्री बनर्जी ने जरूरत पड़ने पर युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को नकारने और उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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मानसिक स्वास्थ्य की समस्या एक सत्य है। यह कोई मिथक नहीं है। वास्तव में यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को पता हो कि मदद कैसे और कब लेनी है।अनन्या बनर्जी. अंतर्राष्ट्रीय छात्रा, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी
उन्होंने माता-पिता द्वारा अपने बच्चों के व्यवहार में किसी भी बदलाव पर सतर्क नजर रखने के महत्व पर जोर दिया।
बार-बार भावनात्मक रूप से परेशानी, बात बात पर गुस्सा या खुद पर थोपा गया अलगाव, साथ ही सिरदर्द सहित भूख या नींद के पैटर्न में बदलाव जैसे शारीरिक परिवर्तन संभावित रूप से अवसाद के संकेत दे सकते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता को इस मामले पर खुलकर चर्चा करने में सहज महसूस करना चाहिए और इसे संबोधित करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
प्रवासी माता पिता को अक्सर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और पीढ़ीगत दूरी का सामना करना पड़ता है। तो माता-पिता को इस विषय पर बिना किसी शर्म या झिझक के, अपने बच्चों के साथ अपने अनुभव और चुनौतियों के बारे में पूरी सच्चाई से बातचीत शुरू करनी चाहिए। और बच्चों के स्तर पर आकर उनकी समस्या पर बात करें।अनन्या बनर्जी. अंतर्राष्ट्रीय छात्रा, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी
अनन्या बनर्जी ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) में एक अंतरराष्ट्रीय छात्रा हैं। वह बैचलर ऑफ साइकोलॉजी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल कर रही हैं, और उन्हें प्रतिष्ठित चांसलर की मेधावी छात्रवृत्ति मिली है।
सुश्री बनर्जी, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, भारत में ग्रामीण वंचित बच्चों के लिए एक मुफ्त मोबाइल स्कूल 'सुशिक्षा' भी चलाती हैं।
Ms Ananya Banerjee runs a free mobile school in India. Credit: supplies Ananya Banerjee
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