रेफेरेंडम अभियान के दौरान तागलका और गुमाज पुरुष कॉनर बोडेन ने वॉईस टू पार्लियामेंट से संबंधित शिक्षण वीडियो अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने शुरू किये थे।
उन्होंने पाया कि वे भ्रामक जानकारी की एक सतत धरा के विरुध्द लड़ रहे थे।
"बजाय के मैं लोगों को सीखा सकूं , या उन्हें ज्ञान दे सकूं, मैं लोगों को बोले गए झूठ से ही निपटता रह गया," वे बताते हैं।
रेफेरेंडम के दौरान एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के ख़िलाफ़ नस्लवाद बढ़ गया था जिससे समुदाय के कुछ लोग देश में अपनी जगह को लेकर अनिश्चित हो गे थे।
"मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूँ कि रेफेरेंडम के नतीजे के बाद समुदाय के कुछ हिस्सों में नस्लवाद, नस्ली नफरत, नस्ली अपमान से लड़ने की आज़ादी महसूस हुई है," एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर सामाजिक न्याय कमिश्नर केटी किस कहती हैं।
एसबीएस एक्सामिन्स के इस अंश में जनमत के एक साल के बाद वॉइस टू पार्लियामेंट और उसकी विफलता में भ्रामक जानकारी के फैलाव की भूमिका पर विमर्श किया गया है।
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