अशोक बंसल ने ब्रज संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर व्रत चित्र बनाये हैं . जिनमें
डॉक्यूमेंटरी '' सूर की सुगंध प्रमुख रही है । अशोक जी बताते हं कि महाकवि सूरदास ने अपने जीवन के १०५ वर्षों में से ७३ वर्ष मथुरा में गुजारे थे और सूर की कुटिया आज भी उपेक्षित है. । वह कहते हैं कि अफसोस होता है यह सोच कर कि हमारे कितने ही गायक गायिकाओं ने सूरदास के बजन गा कर प्रसिद्धी बटोरी है लेकिन सूरदास के नाम को , उसकी स्मृतियों, उनकी धरोहर को संजों कर रखने में कोई प्रयास नहीं किया गया है।
अशोक बंसल, कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से हैं और भारत के राष्ट्रीय दैनिक 'जनसत्ता ' के लिये पिछले कई वर्षों से पत्रकार रहे हैं। '' मन के झरोखे से '' ( ब्रज की विभिन्न ऐतिहासिक , साँस्कृतिक घटनाओं, स्थानों और व्यक्तियों पर लेखों का संग्रह ), '' कुए में भांग ''( व्यंग लेखों का संग्रह ) , '' जब धरती ने सोना उगला '' ( आस्ट्रेलया के गोल्ड रश की रोचक गाथा ) आदि पुस्तकें लिखी है.