ऑस्ट्रियाई संविधान में इंडिजेनस समुदायों को एक प्रतिनिधि मंडल, वॉइस टू पार्लियामेंट, के ज़रिये पहचान देने को लेकर जल्द ही योग्य मतदाताओं से एक जनमत पर मतदान देने को कहा जायेगा। इस जनमत के ज़रिये यह तय किया जायेगा कि ऑस्ट्रिया के संविधान में यह बदलाव होगा या नहीं।
वॉइस एक निर्वाचित प्रतिनिधि मंडल होगा जो सरकार को प्रथम राष्ट्र व्यक्तियों से संबंधित मुद्दों और कानूनों पर सलाह देगा।
ऑस्ट्रलियाई चुनाव आयोग के प्रवक्ता एवन एकिन-स्मिथ समझाते हैं कि इस प्रक्रिया में जनमत की महत्ता क्या है।
वे कहते हैं, "एक जनमत राष्ट्र का वो मतदान है जो यह तय करता है कि ऑस्ट्रेलिया के संविधान में कोई बदलाव किया जायेगा या नहीं।"
संविधान में बदलाव करने का केवल एक ही तरीका है और वह है, जनमत। संसद के पास संविधान में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है।एवन एकिन-स्मिथ
संविधान फ़ेडरल सरकार के काम करने का तरीका निर्धारित करता है। संविधान ही राष्ट्रमंडल, प्रदेश और लोगों के बीच के संवाद का आधार तय करता है, जिसमें यह भी शामिल है कि कौनसे कानून फ़ेडरल सरकार के अधिकार में आते हैं और कौनसे प्रदेश सरकारों के।
लोगों से निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर में 'हां' या 'न' में मतदान करने को कहा जायेगा:
"एक प्रस्तावित कानून: संविधान में बदलाव कर एक एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर वॉइस की स्थापना किया जाना जिससे ऑस्ट्रेलिया के प्रथम राष्ट्र व्यक्तियों को पहचान मिले।
क्या आप इस बदलाव से सहमत हैं ?"
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A supporter is seen with the Aboriginal flag painted on her face in support of the vote hold placards during a Yes 23 community event in support of an Indigenous Voice to Parliament, in Sydney, Sunday, July 2, 2023. (AAP Image/Bianca De Marchi) NO ARCHIVING Source: AAP / BIANCA DE MARCHI/AAPIMAGE
श्री एकिन-स्मिथ समझाते हैं, "एक जनमत के पारित होने के लिए, उसे राष्ट्रीय स्तर पर 'हां' का मत मिलना चाहिए, साथ ही उसे अधिकांश राज्यों में भी 'हां' की बहुमत मिलनी चाहिए। यानी, छः में से कम से कम चार ऑस्ट्रलियाई राज्यों में 'हां' की बहुमत मिलनी चाहिए।"
“एसीटी और एनटी भी बाकी ऑस्ट्रलियाई लोगों की तरह बैलट पृष्ठ पर 'हां' या 'न' में अपना मत अंकित करेंगे। उनका मत राष्ट्रीय बहुमत में गिना जाएगा, लेकिन प्रादेशिक बहुमत में इसकी गिनती नहीं होगी। इसका अर्थ यह कि राष्ट्रीय बहुमत में टेरिटरी का मतदान बेहद अहम हो जाता है।"
प्रस्तावित इंडिजेनस वॉइस टू पार्लियामेंट एक लैंगिक रूप से संतुलित प्रतिनिधि मंडल होगा, जिसका चयन प्रथम राष्ट्र समुदायों द्वारा किया जायेगा। यह मंडल संसद को वह कानून बनाते समय सलाह देगा जो प्रथम राष्ट्र समुदायों को प्रभावित करेंगे।
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इस मंडल के पास कानून बनाने, किसी भी निर्णय पर निर्णायक स्वर रखने, या फंडिंग आबंटित करने का अधिकार नहीं होगा। संसद की कार्य-प्रणाली में भी कोई बदलाव नहीं आयेगा।
प्रोफेसर मेगन डेविस एक कॉबल कॉबल महिला हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ एनएसडब्लू में संवेधानिक कानून की अध्यक्ष भी हैं।
वे 'संविधान में एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों की पहचान' विशेषज्ञ मंडल का हिस्सा थीं जिसने वॉइस का प्रस्ताव प्रेषित किया था।
उनका कहना है दूसरे देशों में ऐसे ही मॉडल सफलतापूर्वक लागू किये गए हैं।
वे कहती हैं, "दुनिया भर की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में यह एक बहुत आम सुधार है जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकारें कानून बनाते समय इंडिजेनस व्यक्तियों के विचार भी सुनें।"
ऑस्ट्रिया में हम अब तक वंचितों और संभ्रांतों के बीच की दूरी को इसलिए भी नहीं भर पाए हैं क्योंकि सरकारें कानून और नीतियां बनाते समय विरले ही समुदाय से चर्चा करती हैं।प्रोफेसर मेगन डेविस
ऑस्ट्रेलिया के प्रथम राष्ट्र व्यक्ति कई तरह की राजनैतिक राय रखते हैं, और लोग कुछ प्रस्तावित वॉइस से असहमत हैं।
इनमें प्रमुख इंडिजेनस राजनेता - नॉर्दर्न टेरिटरी काउंटी की लिबरल सांसद जेसिंटा प्राइस और पूर्व शीर्ष लेबर विभूति वॉरेन मंडीन भी शामिल हैं। उनका मानना है कि वॉइस टू पार्लियामेंट इंडिजेनस वंचना को सुलझाने में उतनी सहायक नहीं होगी।
जनमत के निकट आने के साथ ही, 'हां' और 'न' समर्थक समूह वॉइस के पक्ष और विपक्ष में अपने-अपने तर्क प्रस्तुत करेंगे जो के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया के घर-घर तक पहुंचाए जायेंगे।
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Country Liberal Party Senator Jacinta Nampijinpa Price walks with a young Indigenous woman wearing an Australian flag ahead of a press conference at Parliament House in Canberra, Wednesday, March 22, 2023. (AAP Image/Lukas Coch) NO ARCHIVING Source: AAP / LUKAS COCH/AAPIMAGE
वे बताते हैं, "जनमत के दिन देश भर में हजारों मतदान केंद्र उपलब्ध कराए जायेंगे।
"इसी के साथ अग्रिम मतदान केंद्र भी जनमत के दिन के हफ़्तों पहले से उपलब्ध रहेंगे ताकि आपको आखिरी दिन का ही इंतजार न करना पड़े। इसी के साथ विदेश से मतदान, दूर रहकर मोबाइल से मतदान, डाक मतदान, और नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए दूरभाष मतदान भी उपलब्ध कराया जायेगा।"
चुनाव आयोग प्रतिनिधि पैट केलानन मतदाताओं के लिए उपलब्ध संसाधनों की जानकारी भी देते हैं।
"हम सभी संसाधनों के 30 सांस्कृतिक और भाषायी रूप से विविध समुदायों के लिए अनुवाद उपलब्ध करायेंगे, जो हमारी वेबसाइट, और दूरभाष दुभाषिय सेवाओं द्वारा प्राप्त किये जा सकेंगे।"
वे समझाते हैं कि अगर एक व्यक्ति सामान्य चुनावों में मतदान देने के लिए पंजीकृत हैं, तो वे इस जनमत में भी मतदान कर सकते हैं।
इसलिए, आम चुनावों की ही तरह, इस जनमत में भी मतदान अनिवार्य है।
"मतदान के लिए आपको केवल एक ऑस्ट्रलियाई नागरिक होना आवश्यक है, लेकिन हम लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि अगर आपने स्थानांतरण किया है, या आपको अपने पंजीकरण को लेकर कोई संशय है तो आप aec.gov.au पर अपने पंजीकरण को जांच सकते हैं, और सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी सारी जानकारी सही है।"
श्री एकिन-स्मिथ मानते हैं कि हर व्यक्ति को मतदान करने से पहले चर्चाओं में भाग लेना चाहिए और अपने हिस्से का शोध भी करना चाहिए।
वे कहते हैं, "इस मुद्दे पर गहन विचार करिए। यही जनमत की ख़ासियत है। आप किसी प्रतिनिधि के चुनाव का निर्णय नहीं कर रहे, आप एक मुद्दे पर निर्णय ले रहे हैं।"
अपना शोध ध्यानपूर्वक करें, सोचें कि आप 'हां' में मत देना चाहते हैं, या 'न' में, और सुनिश्चित करें कि आप बैलट बक्से के सामने अपनी जानकारी समझने के बाद पहुंचे।एवन एकिन-स्मिथ
श्री केलानन कहते हैं कि यह जानना आवश्यक है कि इस जनमत का निर्णय आखिरी माना जायेगा।
"यह आवश्यक है कि आपका जो भी मत हो, आप उसे दर्ज करें। चुनाव आयोग को इससे मतलब नहीं है कि लोग क्या मतदान करते हैं, हमारा धेय केवल यह है कि लोग मतदान करें। यह वाकई एक विशेषाधिकार है कि आप एक मुद्दे पर अपना मत रख सकते हैं। इसीलिए हम लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इस अधिकार को गंभीरता से लें।"
2023 के इंडिजेनस वॉइस टू पार्लियामेंट जनमत से संबंधित सभी जानकारी एसबीएस के समूचे नेटवर्क पर प्राप्त करें, जिसमें NITV से प्रथम राष्ट्र परपेक्ष्य भी शामिल हैं। पर 60 से अधिक भाषाओं में लेख, विडियो और पॉडकास्ट उपलब्ध हैं। इसी के साथ पर पाएं मुफ़्त डाक्यूमेंट्री, समाचार विश्लेषण और मनोरंजन।