खास बातें
- माइंडफुलनेस मेडिटेशन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से चिंता और तनाव को दूर करने के लिए एक लाभकारी दृष्टिकोण के रूप में मानता है।
- पुरातत्वविदों के अनुसार, ध्यान 5,000 ईसा पूर्व से चला आ रहा है।
- ध्यान में वर्तमान क्षण पर अपना ध्यान केंद्रित किया जाता है।
इस विश्व ध्यान दिवस का महत्व ध्यान के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की इसकी क्षमता में निहित है, जिसमें तनाव में कमी, मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक शांति की भावना है।
ध्यान में वर्तमान क्षण पर अपना ध्यान केंद्रित और मस्तिष्क को विचारों से मुक्त करने की प्रक्रिया होती है। ध्यान के दौरान होने वाला वह खालीपन क्या है?
एसबीएस हिंदी के साथ बातचीत में, एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया में आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े विवेक कुलकर्णी, विस्तार से इस 'खालीपन' को समझाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने ध्यान केंद्रित करने की तकनीक, मन को प्रशिक्षित करने और मानसिक स्पष्टता की स्थिति प्राप्त करने के तरीके के बारे में बताया।
इस वर्ष का विषय, 'एक साथ ध्यान करना, वैश्विक स्तर पर जुड़ना', वैश्विक शांति और एकता को प्रोत्साहित करने में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता करता है।
कुलकर्णी ने कहा कि यदि आपने अभी तक ध्यान का अभ्यास नहीं किया है। तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह नामित विश्व ध्यान दिवस , ध्यान का अभ्यास शुरू करने का एक सुनहरा अवसर है। इस वर्ष का विषय वैश्विक शांति और एकता को बढ़ावा देने में ध्यान की भूमिका पर जोर देता है।
जब हम साथ मिलकर ध्यान करते हैं, तो यह न केवल एक व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाता है, बल्कि इससे पूरे समुदाय को फायदा होता है। यह एक दूसरे के साथ गहरा संबंध बनाने की ओर एक सकारात्मक कदम है।विवेक कुलकर्णी, आर्ट ऑफ़ लिविंग, एडिलेड
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मीडिया विज्ञप्ति में ध्यान, विशेष रूप से माइंडफुलनेस मेडिटेशन के महत्वपूर्ण लाभों को मान्यता दी है। इसके अतिरिक्त, महासभा ने स्वास्थ्य और कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में योग और ध्यान के बीच संबंध को भी मान्यता दी है।
People are doing yoga breathing exercises in the Lotus position Credit: skynesher/Getty Images
कुलकर्णी ने कहा, "विश्व ध्यान दिवस के रूप में संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह कदम, व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान के लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता को पक्का करता है। यह दिन व्यक्तिगत और वैश्विक स्तर पर ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को , समुदाय और दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव महसूस करने का अवसर प्रदान करता है।"
ध्यान का एक लंबा और विविध इतिहास है, जो मानवता की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं में निहित है।
पुरातात्विक खोजों से पता चलता है कि लोग संभवतः 5,000 साल पहले ध्यान संबंधी अभ्यास करते थे। और इसे मन को समझने, अंतर्दृष्टि प्राप्त करने और पारलौकिक से जुड़ने के तरीके के रूप में किया जाता रहा है।
अनुमान है कि दुनिया भर में 200 से 500 मिलियन लोग नियमित रूप से ध्यान करते हैं। ध्यान साधना का संबंध प्राचीन मिस्र और चीन, यहूदी धर्म, हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध आदि धर्मों से है।
भारत, नेपाल, लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, मैक्सिको और अंडोरा जैसे देशों द्वारा समर्थित संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव को 6 दिसंबर, 2024 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
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