मौसम विशेषज्ञों के अनुसार २०१७ का साल El Niño केबावजूद रिकॉर्ड गर्मी वाला माना जाएगा.
इसके अलावा यह मौसम में बड़ी मात्रा में आयी अत्यधिक परिस्थितयों के लिये भी जाना जाएगा जो वैज्ञानिकों के अनुसार बनी रहेंगी यदि ग्रीनहाउस गैसों पर काबू नहीं पाया जाता.
जब चक्रवात Harvey और Irma आये तब पहली बार अमेरिका में चौथी श्रेणी केकिसी चक्रवात ने देश के मुख्य भाग पर भारी वर्षा की थी.
चक्रवात Harvey- केदौरान टेक्सास में१.५ मीटर की वर्षा को रिकॉर्ड किया गया.
दूसरी ओर चिली ने इस वर्ष भीषण सूखे के बादसे अब तक आठ बार जंगल में आग लगने की घटना की पुष्टि की है.
कई बड़े वैज्ञानिक मानते हैं की मौसम में हो रही यह अत्यधिक गंभीर परिस्थितयां जलवायु परिवर्तन का ही असर है.
World Meteorological Organisation के महासचिव Petteri Taalas बताते हैं की २०१७ गर्मी के लिये रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने की तैयारी में सा लगता है.
"2017 is going to be among the three warmest years on record and it's much warmer than 2014, which was the previous year without the impact of an El Niño."
हालाँकि इस वर्ष तापमान २०१५ और २०१६ के मुकाबले थोड़ा ठंडा जरूर रहा है.
परन्तु उन दोनों वर्ष गर्मी को El Niño ने बढ़ाया था.
Petteri Taalas के अनुसार दीर्घकालिक गर्मी की स्थिति को जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने बढ़ावा दिया है.
"Global warming is continuing, and that's very much because of the increase of greenhouse gases, and especially carbon dioxide."
जर्मनी में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मलेन २०० देशों के प्रतिनिधियों ने इस सप्ताह २०१५ पेरिस पर्यावरण समझौते को लागु करने और २०१० से पहले पहले इस पर कदम उठाने के लिये विचार विमर्श शुरू कर दिया है.
लगभग सभी देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में तत्पर नज़र आ रहें हैं बस अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जो इस विषय पर परस्पर-विरोधी सन्देश दे रहा है.
अमेरिका की ओर से जलवायु परिवर्तन के लिये नियुक्त Deputy Special Envoy Trigg Talley के अनुसार अमेरिका इस बातचीत में भाग लेता रहेगा बावजूद सिकाई की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसमे से बाहर निकलने की धमकी दी है.
"On June 1st, President Trump announced that the United States will withdraw from the Paris Agreement, unless he can identify terms for re-engagement that are more favourable to the American people. The administration's position remains unchanged."
इसी बीच अमेरिका की फ़ेडरल स्तर पर कार्य कर रही १३ एजेंसियों ने यह माना है की जलवायु परिवर्तन के पहले से भी ज्यादा गंभीर होने के sabot मिल रहें हैं और इसमे से ९० प्रतिशत तो मानव निर्मित है.
यहाँ ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड इस वर्ष पहले के मुकाबले ज्यादा ही गर्मी भरे रहे .
मौसम विभाग में वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक Blair Trewin बताते हैं की २०१७ ऑस्ट्रेलिया का तीसरा सबसे गर्म साल होगा.
"Australia is becoming hotter as the world is becoming hotter. Australia has warmed by about a degree over the last century which is fairly similar to the rate of warming worldwide as shown by the figures that have just come out."
Climate Council के Professor Will Steffen सरकारों द्वारा इस ओर जल्द से जल्द कदम उठाने की वकालत कर रहें हैं.
"Australia is really one of the global laggards on climate change. We've got no leadership on the issue. We've got no plans in place. We've got no policies in place at the national level to do our fair share. Fortunately states and territories and cities are starting to take action on their own."