Key Points
- घरेलु हिंसा करने वाले पुरुषों के लिए पुरुष व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम सकारात्मक बदलाव लेकर आ रहे हैं।
- सांस्कृतिक और भाषायी रूप से विविध कार्यक्रम ख़ास विविध समुदायों को ध्यान में रख कर बनाये जा रहे हैं।
- पारिवारिक संबंधों को सुधारने की एक कुंजी ऑस्ट्रेलियाई परपेक्ष्य में बदलती घरेलु ज़िम्मेदारियों को समझना है।
ऑस्ट्रेलिया में एक अच्छी ज़िन्दगी बसाना एक ऐसा सपना है जो कई नए प्रवासी देखते हैं।
पर इस सपने की राह में कई चुनौतियां ऐसी आ सकती हैं जो पारिवारिक रिश्तों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
के साथ मिलकर नाम से एक कार्यक्रम चला रहे हैं जिसके अंतर्गत 18 साल से अधिक उम्र के ऐसे पुरुष जिन्होंने घरेलु रिश्तों में हिंसा या शोषण का प्रयोग किया हो, के साथ काम कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में एक दशक से चलाये जा रहे हैं। अब यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई समुदाय छूट न जाए, सांस्कृतिक परिवेश के अनुसार कार्यक्रम बनाये जा रहे हैं, ताकि बदलते ऑस्ट्रेलिया में सभी समुदायों के पुरुषों के लिए सहायता उपलब्ध हो।
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Feelings of unmet dreams don't need to end up in violence.
लेबनान में जन्में और 'बिल्डिंग स्ट्रांगर फैमिलीज़' कार्यक्रम के पूर्व प्रशिक्षक ग़स्सन नौजैम का कहना है कि कुछ संस्कृतियों में पुरुष परिवार के मुखिया माने जाते हैं। यह मानी हुई बात होती है की घर और परिवार की ज़िम्मेदारी पुरुष पर ही है, और इसीलिए उनकी सारी बात सुनी और मानी जानी चाहिए।
श्री नौजैम समझाते हैं कि जब एक कुशल व्यवसायिक व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया में बसने के समय अमुक कारणों से बरोज़गार हो जाता है, तब इस स्थिति से उपजा तनाव ठीक से संभाला नहीं जाता, या इन भावनाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।
अगर मैं रोता हूं, तो मैं पुरुष नहीं हूं। अगर मैं सहायता मांगता हूं, तो मैं कमज़ोर हूं, पुरुष नहीं हूं।ग़स्सन नौजैम
वे आगे कहते हैं कि अधिकांश समय पुरुष पुरुषत्व के जटिल सांस्कृतिक मूल्यों, मान्यताओं, अपेक्षाओं और मानकों में फंसा हुआ महसूस करते हैं।
पर पूरे न हुए सपनों का अर्थ यह नहीं है कि उनका परिणाम हिंसा हो।
साउथ ऑस्ट्रेलिया में रेलशशिपस ऑस्ट्रेलिया में लाइफ कोच और परामर्श दल की मुखिया डॉ सुम्बो नदि के अनुसार, एक अच्छी ज़िन्दगी बिताने की राह में आने वाली चुनौतियों को समझना सकरात्मक बदलाव का पहला कदम होता है। यह एक ही समय पर चुनौतीपुर्ण भी हो सकता है, और आपके लिए हो सामना करना मुश्किल भी सकता है।
डॉ नदि का कहना है कि लोगों की पहचान से जुड़े उनके काम कई बार एक नयी जगह पर बदल भी जाते हैं।
जैसे पारम्परिक रूप से तय महिलाओं और पुरुषों के काम। यह अधिकतर तब होता है जब महिलाएं घर चलाने की परिस्थिति में आ जाएं और पुरुषों के ज़िम्मे घर की देखभाल आये।
अगर आपकी आपस की ज़िम्मेदारियां बदल भी रही हैं, तो यहआपके मोल को न ही काम करता है, और न ही इससे आपका योगदान काम हो जाता है। आपको इस बात को स्वीकारना चाहिए कि बदलते परिवेश में परिस्थितयां भी बदल जाती हैं।डॉ सुम्बो नदि
चलाता हैं, जहां एडिलेड में अफ़्रीकी पुरुषों, महिलाओं और नौजवानों को पारिवारिक और घरेलु हिंसा के बारे में समझाया जाता है।
डॉ नदि कहती हैं कि पारिवारिक हिंसा को एक निषिद्ध विषय समझा जाता है लेकिन सशक्त बदलाव तब ही आ सकते हैं जब लोग इन विषयों पर एक सुरक्षित परिवेश में खुल कर बात करें।
"उन्हें किसी को शारीरिक रूप से मारने की बात तो समझ आती है, लेकिन भावनात्मक, मानसिक, यौन, और वित्तीय शोषण जैसे विषयों पर भी चर्चा होना ज़रूरी है।"
यह समझने में कि एक अच्छा जीवन और सशक्त परिवार बनाने के क्या मायने हैं, डॉ नदि कहती हैं कि समुदाय के सदस्यों को एक दूसरे के परपेक्ष्य और अनुभवों से ऑस्ट्रेलियाई जीवन शैली को समझना चाहिए।
कई बार, पारम्परिक ज़िम्मेदारियों की अदला-बदली आपको एक दूसरे को नए सिरे से समझने का मौका भी दे सकती है।
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Men's mental health matter, because their mental health and overall well-being are fundamental to the overall wellbeing of the community.
वे सुझाते हैं कि अपने बदलाव की शुरुआत इस सोच से करें कि आप अपने बच्चों के लिए कैसी धरोहर छोड़ कर जाना चाहते हैं।
"आप क्या चाहते हैं, वे आपके बारे में क्या कहें? शुक्रिया, डैड। बहुत शुक्रिया कि आपने... इस वाक्य का अंत क्या होगा?" श्री किंग कहते हैं।
श्री किंग के अनुसार पुरुष अमूमन अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का गलत तरीका बड़े होते हुए पुरुषत्व के गलत अर्थ समझाए जाने के कारण ही अपनाते हैं।
उनका कहना है कि दुर्भाग्य से, पुरुषों को बड़े होने और नए रिश्ते बनाने के साथ-साथ अपनी भावनाओं को छुपाना भी सीखना पड़ता है।
श्री किंग कहते है कि पुरानी पद्यति को त्याग देना चाहिए, और जो लोग आपके लिए ज़रूरी हैं, उनसे अपनी भावनाएं व्यक्त करनी चाहियें। वे किसी बड़े नुकसान से पहले ही विशेषज्ञों की सलाह और सहायता लेने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।
वे समझाते हैं कि दबी हुई भावनाएं किसी दिन ज्वालामुखी बन कर फट सकती हैं, जो शोषणात्मक व्यवहार बन कर भी प्रकट हो सकती है।
वे किसी भी अहम चर्चा से पहले कुछ संचार तकनीकों का पालन करने का सुझाव देते हैं, जैसे:
- दूसरे व्यक्ति की बात को शांति से सुनें।
- दूसरे व्यक्ति के विचारों का आदर करें, बिना इस अपेक्षा के कि वे आपकी बात मानेंगे ही।
- अपने विचारों और भावनाओं को पहचानिये।
- व्यवस्थित हो बैठें, ताकी आपकी ऊर्जा केंद्रित हो सके।
- किसी भी महत्वपूर्ण चर्चा के पहले सहज हो जाएं।
- चर्चा करने से पहले शराब जैसे मादक पदार्थों का सेवन न करें।
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Men are often fathers, brothers, and partners, and their mental health has a direct impact on their families. A man's wellbeing can influence the emotional health of his loved ones.
कभी-कभी संघर्ष भी ठीक होता है। अपनी बात कहना सही है, मदद मांगना सही है।डॉ सुम्बो नदि
देश भर में रिलेशनशिप्स ऑस्ट्रेलिया द्वारा चलाये जा रहे ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त करें, या स्थानीय कॉल की कीमत पर फ़ोन करें 1300 364 277 पर।
भावनात्मक सेहत या रिश्ते को लेकर चिंता में पुरुष मुफ़्त सलाह के लिए ऑस्ट्रेलिया को 1300 78 99 78 पर 24 घंटे में कभी भी फ़ोन कर सकते हैं।
को 13 14 50 फ़ोन कर अपनी संस्था का नाम बताएं और भाषायी समर्थन पाएं।