मुख्य बिंदु:
- क्लोज़िंग द गैप की शुरुआत 2008 में एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों द्वारा स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा में पेश आने वाली असमानताओं से निपटने के लिए की गई थी।
- 2020 में इस रणनीति में सुधार किया गया ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया में एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर समुदायों की सहभागिता हो।
- प्रगति मिश्रित रही है, जहां पांच लक्ष्य सही दिशा में हैं, वहीं वयस्कों को कारावासकाल और आत्महत्या जैसी क्षेत्रों की स्थिति और खराब हो रही है।
- वर्तमान में 19 में से केवल पांच लक्ष्य ही सही दिशा में हैं।
प्रारंभिक वर्ष: समानता की पुकार
यह सब 2005 में शुरू हुआ, जब एबोरिजिनल बुज़ुर्ग प्रोफ़ेसर टॉम कालमा एओ ने एक ऐतिहासिक सोशल जस्टिस यानी सामाजिक न्याय रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के लिए एक पीढ़ी—25 वर्षों—के भीतर स्वास्थ्य समानता की मांग की।
उनकी रिपोर्ट ने जन समर्थन की लहर को जन्म दिया। 2007 तक, प्रसिद्ध ओलंपियन कैथी फ्रीमैन और इयन थॉर्प एक नए अभियान से जुड़ चुके थे।
"यह इस बारे में है कि एक-दूसरे की मदद करने के लिए आज हम मिलकर क्या कर सकते हैं… एक-दूसरे की सहायता के लिए," कैथी फ्रीमैन ने क्लोज़ द गैप अभियान की शुरुआत में कहा।

CANBERRA, AUSTRALIA - FEBRUARY 13: Australian Prime Minister Kevin Rudd meets with Raymattja Marika after delivering an apology to the Aboriginal people for injustices committed over two centuries of white settlement at the Australian Parliament. Rudd's apology referred to the "past mistreatment" of all Aborigines, singling out the "Stolen Generations", the tens of thousands of Aboriginal children taken from their families by governments between 1910 and the early 1970s, in a bid to assimilate them into white society. (Photo by Andrew Sheargold/Getty Images) Credit: Andrew Sheargold/Getty Images
पहली क्लोज़िंग द गैप रणनीति बनाई गई
2008 में, प्रधानमंत्री केविन रड ने क्लोज़िंग द गैप रणनीति को आधिकारिक रूप दिया। उसी वर्ष उन्होंने स्टोलन जेनरेशंस के लिए राष्ट्रीय क्षमायाचना की।
मूल क्लोज़िंग द गैप रणनीति ने सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया—जैसे जीवन प्रत्याशा, शिशु मृत्यु दर, शिक्षा और रोजगार। उम्मीद थी कि 10 वर्षों के भीतर ठोस सुधार दिखाई देंगे।
तब से हर साल, देश के प्रधानमंत्री एक रिपोर्ट पेश करते हैं जिसमें प्रगति का ब्यौरा दिया जाता है।
2019 में, अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 12 वर्षों की क्लोज़िंग द गैप प्रक्रिया पर विचार करते हुए कहा:
"यह आशा, निराशा और हताशा की कहानी है—अच्छे इरादों और वास्तव में अच्छे विश्वास की कहानी। लेकिन नतीजे पर्याप्त नहीं हैं। यह, दुर्भाग्य से, अब भी सच है… हमने एक गहराई से जड़ित सोच को बनाए रखा… और यही वह सोच है जिसे हम अब इंडिजिनस ऑस्ट्रेलियाइयों के साथ मिलकर बदल रहे हैं।"

SCOTT MORRISON CLOSING THE GAP PRESS CONFERENCE Credit: AAPIMAGE
रणनीति ने एक निर्णायक मोड़ लिया
रणनीति में बदलाव ज़रूरी था। इसे सुधार कर नेशनल एग्रीमेंट ऑन क्लोज़िंग द गैप नाम दिया गया, और इसका पूरा ध्यान सरकारी नेतृत्व वाले समाधानों से हटाकर इंडिजिनस समुदायों के साथ वास्तविक भागीदारी की ओर कर दिया गया।
कोएलिशन ऑफ़ पीक्स का गठन किया गया। यह 80 से अधिक एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर समुदाय-नियंत्रित संगठनों का एक समूह था, जिसे इस नई रणनीति को संयुक्त रूप से तैयार करने के लिए बनाया गया।
इरादा सीधा-सा था: नीतियां समुदायों के लिए नहीं, बल्कि उनके साथ मिलकर बनाई जानी चाहिए।
- बच्चों का स्वस्थ और मजबूत रूप से जन्म लेना
- छात्रों का अपनी पूरी शिक्षा क्षमता तक पहुंचना
- आपराधिक न्याय प्रणाली में युवाओं के प्रवेश को कम करना
यह एक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण है, जो केवल स्वास्थ्य पर नहीं, बल्कि आवास, न्याय, संस्कृति और आर्थिक भागीदारी पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

Lead Convener of the Coalition of Peaks Pat Turner speaks to the media during a press conference at Parliament House in Canberra. Source: AAP / LUKAS COCH/AAPIMAGE
तो आज हम कहां खड़े हैं?
टॉम कालमा द्वारा बदलाव की पुकार को आए लगभग एक पीढ़ी बीत चुकी है। उस समय इंडिजिनस और गैर-इंडिजिनस ऑस्ट्रेलियाइयों के बीच जीवन प्रत्याशा का अंतर 11 वर्ष था। आज यह लगभग आठ वर्ष है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह रुझान एक बार फिर गलत दिशा में जा रहा है।
नवीनतम के अनुसार कुछ प्रगति हुई है। 19 लक्ष्यों में से 11 में सुधार देखा गया है। लेकिन केवल पांच लक्ष्य ही वर्तमान में सही दिशा में अग्रसर हैं।
कुछ उत्साहजनक संकेत भी हैं: अधिक बच्चे स्वस्थ वजन के साथ पैदा हो रहे हैं, और अधिक युवा 12वीं कक्षा या समकक्ष योग्यता पूरी कर रहे हैं।
लेकिन कुछ क्षेत्रों, जैसे आत्महत्या दर और वयस्कों के कारावास जाने की दर, में स्थिति और खराब हो रही है।
“हमें इस पर डटे रहना होगा,” कोएलिशन ऑफ़ पीक्स की पैट टर्नर कहती हैं।
“क्लोज़िंग द गैप केवल आंकड़ों की बात नहीं है। यह असली ज़िंदगियों, मज़बूत परिवारों और उज्जवल भविष्य की बात है… यह सुनिश्चित करने की बात है कि हमारे बच्चे स्वस्थ, गर्वित और अपनी संस्कृति से जुड़े हुए बड़े हों।”
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