मुख्य बिंदु
- हमारे प्रथम राष्ट्र समूह आज 100 से अधिक भाषाएं बोलते हैं।
- इनमें से कई भाषाएं हमेशा के लिए लुप्त होने की कगार पर हैं।
- नवीतम राष्ट्रीय इंडिजिनस भाषा सर्वेक्षण के अनुसार 31 समूह अपनी भाषाओं को पुनर्जीवित कर रहे हैं।
भाषा लोगों और स्थान से जुड़ी होती है—कहा जाता है कि ज़मीन ने ही भाषा को जन्म दिया।
एबोरिजिनल लैंग्वेजेस ट्रस्ट की उपाध्यक्ष, कैथी ट्रिंडल कहती हैं कि भाषा उनकी पहचान का एक एहम हिस्सा है। यह लोगों को उनके पूर्वजों के ज्ञान से जोड़ती है और इसके साथ सांस्कृतिक ज़िम्मेदारी भी आती है।
"यह मुझे बताती है कि मैं कौन हूं," वे कहती हैं।
"मैं उत्तर-पश्चिमी न्यू साउथ वेल्स के नैरब्री की काली मिट्टी की धरती से गोमेरोई मुर्री यिन्नार समुदाय से आती हूं। मुझे पता है कि मैं वहीं की हूं क्योंकि मेरा नाम, मेरी भाषा, मेरी संस्कृति मुझे यही बताती है, और वही मेरी पहचान की जगह है।"
तो क्या होगा अगर आपकी भाषा आपसे छीन ली जाए? यही अनुभव हमारे प्रथम राष्ट्रों के लोगों का रहा है।

AIATSIS Paper and Talk_Kukatj language group. Credit: AIATSIS
ऑस्ट्रेलिया में कितनी भाषाएं बोली जाती थीं?
यूरोपीयाई बसावट से पहले, ऑस्ट्रेलिया में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं।
जॉन गिब्स पश्चिमी न्यू साउथ वेल्स के गौरवान्वित विराजुरी व्यक्ति हैं। वे AIATSIS (ऑस्ट्रेलियन इंस्टिट्यूट ऑफ एबोरिजिनल एंड टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर स्टडीज़) में शोध और शिक्षा समूह के कार्यकारी निदेशक हैं। वे बताते हैं कि भाषाओं की संख्या को अलग-अलग तरीकों से देखा जा सकता है।
"अगर आप सिर्फ उन भाषाओं को गिनें जो इतनी अलग थीं कि पड़ोसी भाषा बोलने वाले एक-दूसरे को नहीं समझ सकते थे, तो ऐसी 250 से ज्यादा भाषाएं थीं," वे समझाते हैं।
"लेकिन भाषा सिर्फ संचार का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक पहचान का भी हिस्सा है। ऑस्ट्रेलियाई अंग्रेज़ी और अमेरिकी अंग्रेज़ी तकनीकी रूप से एक ही भाषा हैं, लेकिन हम ऑस्ट्रेलियाई लोग खुद को एक से जोड़ते हैं, दूसरी से नहीं। अगर भाषाओं को सामाजिक पहचान के नजरिए से देखें, तो ऑस्ट्रेलिया में 600 से 800 तक अलग-अलग प्रकार की भाषा बोली जाती थीं।"
यूरोपीयाई बसावट के बाद, यह संख्या तेजी से घट गई।
AIATSIS के के अनुसार, अब 123 भाषाएं या तो जीवित हैं या उन्हें फिर से जीवंत किया जा रहा है।
इसमें टोरेस स्ट्रेट की अलग-अलग भाषाएं भी शामिल हैं।
टोरेस स्ट्रेट द्वीपों की भाषाविद और अनुवादक लियोनोरा एडिडी बताती हैं कि पश्चिमी और मध्य टोरेस स्ट्रेट में लोग एक ऐसी भाषा बोलते हैं, जिसे एबोरिजिनल भाषा की श्रेणी में रखा जाता है।
"जो भाषाएं टोरेस स्ट्रेट के पूर्वी हिस्से में बोली जाती हैं, वे पापुआन भाषाएं हैं... हम एक-दूसरे को समझ नहीं पाते।"
कुछ बोलियों के अलावा, टोरेस स्ट्रेट आइलैंड क्रीओल, जिसे यमप्लाटोक कहा जाता है, हाल में बनी एक सामुदायिक भाषा है। ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स के अनुसार, यह अब सबसे अधिक बोली जाने वाली प्रथम राष्ट्र भाषा है, जिसे 7000 से अधिक लोग बोलते हैं।

Young aboriginal female students sitting with their tutor outdoors in the sun in Australia. Credit: SolStock/Getty Images
भाषाएं कहां चली गईं?
यूरोपीयाई बसावट के बाद, उस समय की समावेशन नीतियों, और बच्चों को उनके परिवारों और समुदायों से ज़बरन अलग करने के कारण कई भाषाएं विलुप्त हो गईं।
लोगों को अपनी भाषा बोलने का अधिकार नहीं दिया गया। लेकिन कुछ भाषाएं गुप्त रूप से बोली जाती रहीं और चुपचाप नई पीढ़ियों तक पहुंचाई गईं।
आज, ऑस्ट्रेलिया और टोरेस स्ट्रेट में जो भी भाषाएं सक्रिय हैं, वे ज्यादातर बुजुर्गों द्वारा बोली जाती हैं। इनमें से 100 भाषाएं संकटग्रस्त मानी जाती हैं, और केवल 12 ऐसी हैं जो बच्चों द्वारा पहली भाषा के रूप में सीखी जाती हैं।
जो भाषाएं अब उपयोग में नहीं हैं, उन्हें अक्सर ‘सुप्त’ (सोई हुई) भाषाएं कहा जाता है।
ऐसी भाषाएं जिन्हें लम्बे समय से प्रयोग नहीं किया गया है, लुप्त नहीं, वरन सुप्त कहाई जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जो सुप्त है उसे जागृत भी किया जा सकता है।जॉन गिब्स, AIATSIS
भाषाओं को फिर से जीवंत करना
2017 में, न्यू साउथ वेल्स की प्रथम भाषाओं को 'एबोरिजिनल लैंग्वेजेस एक्ट' में शामिल किया गया।
यह कानून स्वीकार करता है कि ये भाषाएं न्यू साउथ वेल्स की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। प्रथम राष्ट्र समुदाय इन भाषाओं के संरक्षक हैं और उन्हें पुनर्जीवित करने और संरक्षित रखने का अधिकार है।
अब बदलाव आ रहा है।
नवीनतम राष्ट्रीय इंडिजिनस भाषा सर्वेक्षण के अनुसार, देशभर में 31 समुदाय अपनी भाषाओं को फिर से जीवंत कर रहे हैं और नए वक्ता बढ़ रहे हैं।
लेकिन प्रथम राष्ट्र भषाओं को फिर से जीवंत करना आसान नहीं है, क्योंकि प्रथम राष्ट्र एकभाषी समाज नहीं हैं, यह बात आंटी लियोनोरा ज़ोर देकर कहती हैं।
इसका मतलब यह है कि जहाँ कुछ भाषाएं फल-फूल रही हैं, वहीं कुछ केवल मुट्ठीभर लोगों तक ही सीमित रह गई हैं।
"अगर हमें समर्थन मिल भी जाए और देशभर में इन भाषाओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक समान उपकरण या कार्यक्रम तैयार किया जाए, तो भी चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। अगर हम एकसमान और एकभाषी समाज होते, तो यह काम आसान होता," वे कहती हैं।

2024 Paper and Talk Participants, AIATSIS, and Living Languages. Credit: AIATSIS
AIATSIS की भूमिका
AIATSIS सेंटर फॉर ऑस्ट्रेलियन लैंग्वेजेस (ACAL) समुदायों के साथ मिलकर भाषा पुनर्जीवन में मदद करता है।
AIATSIS के पास शुरुआती यूरोपीयाई अन्वेषकों द्वारा लिखे गए पांडुलिपियां, जर्नल और ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग हैं, जिनका संपर्क एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों से था। ये कीमती रिकॉर्ड समुदाय के सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं।
ACAL नियमित कार्यशाला श्रृंखला ‘पेपर एंड टॉक’ को भी वित्त पोषित करता है, जिसमें सामुदायिक शोधकर्ताओं को संस्थान में लाया जाता है, जहां वे अनुभवी भाषाविदों के साथ मिलकर अपनी भाषा सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।
AIATSIS ने 20 से अधिक 20 के प्रकाशन को भी वित्त पोषित किया है।
“दो हफ्तों के अंत में, सब मिलकर एक भाषा संसाधन तैयार कर चुके होते हैं, जिसे वे समुदाय में वापस ले जाकर भाषा पुनर्निर्माण की यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं,” जॉन गिब्स कहते हैं।

Warlpiri Dictionary
स्कूलों के माध्यम से भाषा को पुनर्जीवित करना
भाषाओं के फलने-फूलने के लिए जरूरी है कि बच्चे उन्हें बोलें।
2022 में, गंबयंगगिर गिंगाना फ्रीडम स्कूल खोला गया—यह न्यू साउथ वेल्स का पहला इंडिजिनस द्विभाषी स्कूल है।
कैथी ट्रिंडल का पोता इस साल इस स्कूल में जाएगा और सांस्कृतिक रूप से समग्र शिक्षा प्राप्त करेगा।
"यह सिर्फ डॉल्फिन या व्हेल के नाम सीखने की बात नहीं है। वे यह भी सीखेंगे कि जब वे किसी यात्रा पर जाएं, तो वे 'ड्रीमिंग पाथ' को समझें। वे सृष्टि की, सृजन की कहानियां समझें। वे समझें कि वह डॉल्फिन असल में उन कहानियों का हिस्सा है, जो उन्हें उनके मूल स्थान और पहचान से जोड़ती हैं।"

A classroon at The Gumbaynggirr Giingana Freedom School. Credit: SUSAN
अनुवाद और व्याख्या के माध्यम से भाषा को संवारना
2012 से, NAATI (नेशनल एक्रेडिटेशन अथॉरिटी फॉर ट्रांसलेटर्स एंड इंटरप्रेटर्स) ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार और इंडिजिनस संगठनों के साथ मिलकर इंडिजिनस इंटरप्रेटिंग प्रोजेक्ट के माध्यम से पेशेवर दुभाषियों की संख्या बढ़ाने का काम किया है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी प प्रथम राष्ट्र लोग अपनी भाषा में प्रतिभागिता कर सकें और ऑस्ट्रेलिया में अपने अधिकार प्राप्त कर सकें।
लाविनिया हेफ़रनन एक पिंटुपी-लुरिट्जा अनुवादक और नाटी प्रमाणित दुभाषिया हैं।
"हम उन लोगों के साथ काम करते हैं जिनकी पहली भाषा अंग्रेज़ी नहीं है… कभी-कभी अंग्रेज़ी उनकी पाँचवीं या छठी भाषा होती है," वे बताती हैं।
"फिलहाल 27 भाषाओं के 96 प्रमाणित एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर भाषा दुभाषिए हैं।"
हाल ही में इंटरप्रेटर्स और ट्रांसलेटर्स सम्मेलन में शामिल होते हुए, लाविनिया ने देखा कि नए प्रवासियों और फर्स्ट नेशंस लोगों की कहानियाँ काफी मिलती-जुलती हैं।
"हमने बचपन से ही अनुवाद करना सीखा… हम हमेशा अपने परिवारों के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे, और जब वे अपनी कहानियाँ सुनाते हैं, तो यह हमारे बचपन की कहानियों से बहुत मिलती-जुलती लगती हैं।"
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Ngiyang
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