अपने बच्चे के लिए सही ट्यूटर कैसे चुनें

Great School Work

Choosing the right tutor is essential for ensuring a positive learning experience and real educational benefits for your child. Credit: SolStock/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया में ट्यूटरिंग एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र है, जहां पूरे देश में 80,000 से ज़्यादा ट्यूटर हैं। ख़ासतौर पर प्रवासी परिवार ट्यूटरिंग पर काफ़ी पैसा खर्च करते हैं, क्योंकि वे शिक्षा को सफलता की कुंजी मानते हैं। लेकिन आपके बच्चे को सही मार्गदर्शन मिले, इसके लिए सही ट्यूटर चुनना बहुत ज़रूरी है — ताकि पढ़ाई का अनुभव सकारात्मक हो और असली फायदा भी मिले।


ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले कई प्रवासी परिवारों की तरह, जीह-युंग लो के माता-पिता ने भी कड़ी मेहनत की ताकि वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल और ट्यूटरिंग दिला सकें।

वे बताते हैं, “मेरे स्कूल के ज़्यादातर साथी किसी न किसी तरह की ट्यूटरिंग लेते थे – कोई शनिवार को क्लास करता था, कोई प्राइवेट ट्यूटर से पढ़ता था। मैंने दोनों किया। मैं शनिवार को स्कूल जाता था, रविवार को मैथ्स की क्लास होती थी, और साथ में प्राइवेट ट्यूटर भी था! मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं हमेशा आगे रहूं, और मेरे नंबर कभी कम न हों।”

अब जब वो खुद एक पिता हैं, तो अपनी सात साल की बेटी होपलिन के लिए ट्यूटरिंग पर विचार कर रहे हैं – लेकिन एक थोड़े अलग नजरिए से।

वे कहते हैं, “हम इस समय ट्यूटरिंग के विकल्प देख रहे हैं, खासकर मैथ्स और शायद इंग्लिश के लिए – ताकि उसे बेहतर शैक्षणिक अनुभव मिल सके, पढ़ाई में दिलचस्पी बढ़े, और एक सुरक्षित माहौल भी मिले। खासतौर पर वन-ऑन-वन ट्यूटरिंग में, जहां वो खुलकर सीख सके और उसका आत्मविश्वास भी बढ़े।”

माता-पिता ट्यूटर क्यों रखते हैं?

माता-पिता ट्यूटर विभिन्न कारणों से रखते हैं: , किसी खास विषय में सुधार लाने, या उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए।

कुछ लोग ट्यूटरिंग को एक समग्र शिक्षा अनुभव के रूप में भी देखते हैं।

के मुख्य सचिव मोहन ढल बताते हैं कि अब ट्यूटरिंग का इस्तेमाल सिलेक्टिव स्कूलों में दाख़िला पाने के लिए भी बढ़ रहा है।

“लोग प्राइवेट ट्यूटरिंग को इसलिए चुनते हैं ताकि [बच्चों को] यूनिवर्सिटी में जगह मिल सके या किसी प्रोफेशन में दाख़िला पक्का हो सके। स्कूल स्तर पर यह ट्यूटरिंग का इस्तेमाल प्राइवेट स्कूल या किसी सिलेक्टिव पब्लिक स्कूल में दाख़िला पाने के रूप में होता है। और प्रवासी परिवारों में ऐसे स्कूलों में दाख़िले के लिए ट्यूटरिंग का चलन काफ़ी ज़्यादा है,” वे समझाते हैं।
Aboriginal primary school teacher helping young boy in the classroom
Tutoring comes in various formats, from in-person to online, and can serve different purposes, including academic improvement and confidence-building. Credit: JohnnyGreig/Getty Images

कितने प्रकार की ट्यूटरिंग उपलब्ध हैं

ट्यूटरिंग कई तरीकों में उपलब्ध है: घर पर, ट्यूटरिंग सेंटर्स में, या ऑनलाइन। कुछ ट्यूटर एक-एक बच्चे को पढ़ाते हैं, जबकि कुछ समूह में पढ़ाते हैं। सेवाएं सामान्य होमवर्क में मदद से लेकर कठिन परीक्षा की तैयारी तक हो सकती हैं।

चूंकि , इसलिए कोई भी ट्यूटर बन सकता है। श्री ढल चेतावनी देते हैं कि सिर्फ अच्छे नंबर लाने से कोई अच्छा ट्यूटर नहीं बन जाता।

ट्यूटर कैसे चुनें

वे कहते हैं, “मैं तो कहूंगा कि जिन लोगों को प्रवासी समुदाय—जो पहले से ही एक संवेदनशील स्थिति में होते हैं—ट्यूटर के रूप में चुनते हैं, वे असल में उनके बच्चे का आत्मविश्वास कम कर सकते हैं और उसकी सीखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि वे यह समझने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते कि बच्चे की ज़रूरतें क्या हैं।”

ट्यूटर चुनने की शुरुआत का एक अच्छा तरीका है – दूसरे माता-पिता से सिफारिशें लेना। ऑस्ट्रेलिया के कई राज्यों में यह सलाह दी जाती है कि ऐसे ट्यूटर को चुनें जो के सदस्य हों, क्योंकि वे सख़्त मानकों पर खरे उतरते हैं और एक आचार संहिता का पालन करते हैं।

कि ट्यूटर रखने से पहले कुछ अहम सवाल ज़रूर पूछें, जैसे:
  • आपकी योग्यता और अनुभव क्या है?
  • क्या आपके पास बच्चों के साथ काम करने की अनुमति (वर्किंग विद चिल्ड्रन चेक) है?
  • क्या आपके पास बिज़नेस नंबर है?
  • क्या आप रसीद देंगे?
  • अगर पैसे वापस करने की ज़रूरत पड़ी, तो वह कैसे किया जाएगा?
  • आप ट्यूटरिंग की सफलता को कैसे मापेंगे? कैसे पता चलेगा कि यह काम कर रही है?
  • आप कितने समय तक ट्यूटरिंग करवाने की सलाह देंगे?
  • आपकी क्लास में कितने छात्र होते हैं?
  • क्या ट्यूटरिंग हर बच्चे के अनुसार अलग-अलग की जाती है?
  • अगर ट्यूटरिंग मेरे बच्चे के लिए कारगर नहीं हो रही है, तो आप यह बात कब और कैसे बताएंगे?
Mother helping son during e-learning at home
Mother helping son during e-learning at home. Credit: MoMo Productions/Getty Images
ऐसे ट्यूटर से बचें जिनके पास बच्चों के साथ काम करने की प्रमाणिकता न हो, जो सवालों के जवाब देने से बचें या ज़िम्मेदारी लेने से कतराएं।

ऑनलाइन ट्यूटरिंग के लिए, श्री ढल यह जांचने की सलाह देते हैं कि बच्चे ट्यूटरिंग में कितना जुड़ पा रहे हैं: “क्या कैमरे ऑन हैं? क्या ट्यूटर देख रहे हैं कि बच्चे क्या कर रहे हैं? क्या वे छात्रों की सूची बना रहे हैं और देख रहे हैं कि किसने कितनी बार भाग लिया? क्या वे चैट पर लगातार नज़र बनाये हैं? क्या वे यह ध्यान दे रहे हैं कि कौन कितना काम कर रहा है? और क्या वे साथ के साथ में फीडबैक दे रहे हैं?”

मेलबर्न में रहने वाले पिता जीह-युंग लो के लिए, ट्यूटर चुनते समय अपनी बेटी की राय लेना बहुत ज़रूरी है।

इसी तरह, ब्रिसबेन में रहने वाले पिता एलेक्स वोंग भी अपनी बेटी की प्रतिक्रिया के आधार पर ट्यूटर चुनते हैं।

वे कहते हैं, “हमने ट्यूटर का चुनाव इस पर किया कि हमारी बेटी ने कैसे प्रतिक्रिया दी। अगर वह बोर हो गई, बेचैन हुई, ध्यान नहीं दिया – या उसने सच में ‘वाह’ कहा और ज़्यादा पढ़ने की इच्छा जताई। यही हमारे लिए एक पैमाना था कि किसे चुनना है, और हमने कई ट्यूटर आज़माए।"

वे बताते हैं कि इसमें आपको विकल्पों को आज़माना पड़ता है।
Female tutor explaining to boy through book on table at home
Since tutoring is unregulated in Australia, parents should carefully vet tutors by checking their credentials, experience, and teaching methods. Credit: Westend61/Getty Images/Westend61

मुफ़्त और कम-लागत वाली ट्यूटरिंग

ट्यूटरिंग की कीमतें काफी अलग-अलग होती हैं — बिना योग्यता वाले ट्यूटर $30 प्रति घंटे से शुरू होते हैं, जबकि विषय विशेषज्ञों की फ़ीस $200 तक हो सकती है। लेकिन मुफ्त विकल्प भी उपलब्ध हैं।

कई संगठन, जैसे कि पुस्तकालय, गृहकार्य में मदद देते हैं, और कुछ कार्यक्रम विशेषकर नए प्रवासियों के लिए बनाए गए हैं।

कैनबरा में, द्वारा चलाया जाता है। यह प्रवासी युवाओं के लिए निःशुल्क वन-ऑन-वन ट्यूटरिंग सत्र प्रदान करता है।

MARSS की मुख्य सचिव सोनिया डी मेज़्ज़ा ने छात्रों में सकारात्मक बदलाव देखे हैं: “वे खुद को आगे की पढ़ाई के लिए बेहतर तरीके से तैयार महसूस करते हैं, उनकी अंग्रेज़ी में सुधार होता है, और वे शिक्षा प्रणाली को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।”

माता-पिता की भूमिका

श्री ढल ज़ोर देते हैं कि ट्यूटरिंग स्कूल की पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि उसका पूरक होनी चाहिए। बच्चों की शिक्षा में माता-पिता की भूमिका भी बेहद अहम होती है।

वे कहते हैं, “माता-पिता को खुद से पहला सवाल पूछना चाहिए कि मैं अपने बच्चे के लिए खुद क्या कर सकता/सकती हूं? क्या मैं उसके साथ बैठकर पढ़ सकता/सकती हूं? क्या मैं उसके साथ समय बिता सकता/सकती हूं? इस शैक्षणिक सफर में मैं खुद को कैसे सशक्त बना सकता/सकती हूं ताकि मैं अपने बच्चे के साथ चल सकूं?”
ऑस्ट्रेलिया एक्सप्लेंड पॉडकास्ट को सब्सक्राइब करें या फॉलो करें, ताकि ऑस्ट्रेलिया में अपनी नई ज़िंदगी बसाने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और सुझाव प्राप्त कर सकें।

कोई सवाल या विषय सुझाव है?
हमें पर ईमेल भेजें।

हमसे जुड़िये जब आप चाहें , एसबीएस ऑडियो ऐप, , या पर। आप हमें लाइव सुन सकतें हैं हर शाम 5 बजे डिजिटल रेडियो, टीवी चैनल 305, , या हमारी पर भी।

Share